मीत अगर तुम...

#कविता

शब्द अधूरे गीत न बनते ।

फूल भी न शूल से चुभते ।।

हर गम हंसकर सह जाते ।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

वीणा गम का सुर न बजाती ।

आहें फिर सरगम बन जाती ।।

आंसू भी मेरे मोती बन जाते ।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

मंदिर-मस्ज़िद काशी-काबा

हर जगह सिर्फ तुम्हें पुकारा ।।

आसहीन ना जीवन होता।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

याद अगर जो तुम कर लेते ।

तन्हां रहकर ना अश्क बहाते ।।

सहरा में भी गुल खिल जाते ।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

जीवन अपना बोझ न लगता ।

प्यार तुम्हारा जो मिल जाता ।।

गम में भी हम सुख पा जाते ।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

प्यार की रस्म गर निभा जाते ।

हर रुसवाई भी सह जाते ।।

मृत्यु में भी जीवन पा जाते ।

मीत अगर तुम जो आ जाते ।।

- डा०मंजू दीक्षित "अगुम"

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डॉ. मंजू दीक्षित "अगुम"

अपने अंदर की उथल-पुथल और मन के भावों को कागज़ पर उकेरने की एक छोटी सी कोशिश