#कविता
जीवन मृत्यु
एक शाश्वत सत्य
फिर इनसे कैसा डर
जीवन नाम
स्मृतियों का
स्वप्निल संसार
कर्तव्य बोध
सोच ही सोच
संघर्ष और कष्ट
जिम्मेदारियों का
सघन यायावर
प्रसन्नता अवसाद
रिश्तों का बंधन
कठिन डगर
जीवन छिनने का
हर पल डर
पर...
महाप्रयाण
एक कटु सत्य
पर मीठा अहसास
न संघर्ष न कष्ट
हर झंझट से मुक्ति
अवसाद न पीड़ा
ना रिश्तों का बंधन
ना कुछ पाने की चाहत
ना ही कुछ खोने का डर
नीरव पथ अकेला पथिक
शांति ही शांति
बस असीम शांति
फिर कैसा और क्यों
मृत्यु से डर
- डॉ०मंजू दीक्षित "अगुम"
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