गप्पू की कहानी

#कविता

आओ सुनाऊं तुम्हें एक कहानी
गोल मटोल गप्पू सा एक नन्हा बच्चा था
सबकी आंखों का तारा राजदुलारा था
मम्मी पापा से प्यार बहुत वो करता था
कभी चब्बो कह स्कूटर में किक लगाता था
कभी घर आ समोल को आवाज लगाता था
कूलर चला मां को जबरन ठंडी हवा खिलाता था
शरारत उसकी आंखों से हरदम झलका करती थी
दीदी संग झगड़ा उसका अक्सर हो जाता था
पर दीदी बिना घर उसको जरा न भाता था
गुस्सा उसकी नाक पर सदा ठुमके लगाता था
जब रूठता बत्तू खाकर फिर खुश हो जाता था
अब मां पापा की चिंता में व्याकुल हो जाता है
लापरवाही पर उनकी गुस्सा उसको आता है
बत्तू उसे अब जरा न भाती कैसे उसे मनाऊं
कोई उपाय समझ न आता कैसे उसे हंसाऊं!

--डा०मंजू दीक्षित "अगुम"

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डॉ. मंजू दीक्षित "अगुम"

अपने अंदर की उथल-पुथल और मन के भावों को कागज़ पर उकेरने की एक छोटी सी कोशिश