#कविता
जाने तुम मेरे कौन हो
जो मुझे अपनी पनाह में रखते हो
क्या मेरे दिल के सोये अरमां हो
या मेरे बिखरे हुए जज़्बात हो
मेरी कल्पनाओं की ताबीर हो
या मेरी उम्मीदों की कब्रगाह हो
क्या मेरे मन का विश्वास हो
या मेरे अन्तर्मन की आवाज़ हो
क्या गीता का कोई श्लोक हो
या कुरान की कोई आयत हो
जब जब दिल बेसकुन होता है
तब तुम मेरे आहत मन पर
विश्वास का अपने मरहम लगाकर
अपने होने का एहसास कराते हो ।।
न जाने...
— डॉ ०मंजू दीक्षित "अगुम"
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