आ रहे बच्चों के इम्तिहान

#बाल-कविता, #कविता

आ रहे बच्चों के इम्तिहान,
सर पर लटक रही तलवार।
मम्मी-पापा दीदी-भईया,
सबके हाथों में किताब ।
आ रहे...

दादी बजा रहीं हैं घंटा,
बाबा चढ़ा रहे प्रसाद।
दिन-रात मंदिर में देखो,
गूंजते शंख और घड़ियाल।
हो रहे पूजा और अनुष्ठान,
आ रहे...

भोले बाबा ही नहीं खुश,
खुश हो रहे सभी भगवान।
अब तो रोज मिलेंगे हमको ,
हलुआ पूड़ी और पकवान।
आ रहे..

मां करतीं गणपति की पूजा,
पार लगा दो बच्चों की नईया ।
सुबह-शाम मंदिर में आकर ,
कीर्तन रोज करुंगी भगवन ।
आ रहे..

इंग्लिश नहीं आती है उसको ,
गणित में पाता वो हरदम जीरो ।
कोरी कॉपी छोड़ के आया ,
सिवा नाम के न कुछ लिख पाया‌।
कैसे होगा उसका बेड़ा पार ,
आ रहे...

चाहें वेश बदल कर आओ भगवन
चाहें लो अब कोई अवतार।
डूबती नैया पार लगा दो,
कर दो हम सबका उद्धार ।
आओ मेरे कृपा-निधान ।।
आ रहे...

--डा०मंजू दीक्षित "अगुम"

Write a comment ...

Write a comment ...

डॉ. मंजू दीक्षित "अगुम"

अपने अंदर की उथल-पुथल और मन के भावों को कागज़ पर उकेरने की एक छोटी सी कोशिश